बिन्दिया (1960)
संगीतकार : इकबाल
कुरैशी
गीतकार : राजेंद्र
कृष्ण
मैं अपने आप से
घबरा गया हूँ .....
मोहम्मद रफ़ी
ख्वाब में कहाँ
मिलेंगे, किस लिए जी*...
रफ़ी, लता
गोरे गोरे हाथ लगे
टोकरी उठाने ..
रफ़ी, आशा, साथी
*फिल्म में यह गीत
इस तरह से है “शाम में कहाँ मिलेंगे”
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